Tuesday, November 22, 2011

भगवा सफ़ेद हरा , जीवन चक्र मेरा |

भगवा सफ़ेद हरा , जीवन चक्र मेरा |
कर्म सत्य धरती माँ , इन्ही में मैं पला |
भारतीय मैं जना, भारतीय ही जला |
भारतीय मैं जियूं, सदा भारतीय रहूँ |
भगवा सफ़ेद हरा , जीवन चक्र मेरा |
 

Sunday, November 13, 2011

Name of Grassland's in different regions

Tropical Grassland:-

S.No.    -         Region         -               Name of Grassland

1-               East Africa           -               Savanna
2-               Brazil                   -              Campos
3-               Venezuela            -               Llanos

Temperate Grassland:-

S.No.    -         Region         -               Name of Grassland

1-                  Argentina              -            Pampas
2-                  North America      -              Prairie
3-                  South Africa       -                 Veld
4-                 Central Asia             -             Steppe
5-                  Australia              -                Down

Thursday, November 10, 2011

हे प्रभु निज अंतर्मन अन्धकार दूर करो

हे प्रभु निज अंतर्मन अन्धकार दूर करो ,
माया जाल अन्धकार में खोया है मम ह्रयद ,
उस ह्रयद को प्रकाश रूपी पथ के दीप दिखाओ ,
हे प्रभु निज अंतर्मन अन्धकार दूर करो |
उद्देश्य विहीन जीवन का अंत ही दीखता है मुझको ,
उसे मातभूमि के चरणों में अर्पित कर अमर जीवन दान दो ,   
हे प्रभु निज अंतर्मन अन्धकार दूर करो |
भगत, आजाद, सुभाष ने निज क्षत्र धम पूर्ण किया, 
अब मेरी बारी है क्षिति पर शीश चढाने  की ,
हे प्रभु निज अंतर्मन अन्धकार दूर करो |
विषय कामनाओं में आसक्त हुआ है मन मेरा ,
उसे मात धर्म के लौह संकल्प से पूर्ण करो, 
हे प्रभु निज अंतर्मन अन्धकार दूर करो |
आज़ादी की इस लौ में अपना धम पूर्ण करूँ,
विकास पथ पर मम सर्वस्व दान करूँ, 
हे प्रभु निज अंतर्मन अन्धकार दूर करो |


Saturday, November 5, 2011

इक सिख बलिदानी युवक अगर पागल ना होता...

इक सिख बलिदानी युवक अगर पागल ना होता...
वो भी किसान बन खेतों मे बस गन्ने बोता...
लेकिन वो पागल था उसने बंदूकें बोई...
उसने सुविधा कोयल की प्यारी कूंके खोई...
फिर देश की खातिर मृत्यु हार पे झूल गया वो...
परिवार, बाप, माता, बहनों को भूल गया वो...
उसके बलिदान की कीमत अभी अधूरी है...
हित राष्ट्र अभी पागलपन बहुत ज़रूरी है...
गर वो बंगाली युवक न होता बौराया सा...
होता अँग्रेज़ों के दफ़्तर मे गर्वाया सा..
क्या वो हिटलर से मिलता, क्या वो फौज बनाता...
वो बस घर मे सुख से रहता और मौज मनाता...
पर वो पागल था अंग्रेज़ो से जंग लड़ा वो....
बस आज़ादी की खातिर हरदम रहा खड़ा वो...
उसकी वो रक्त पुकार अभी क्या पूरी है...
हित राष्ट्र अभी पागलपन बहुत ज़रूरी है...
आज़ाद सदा रहने की कसम उठाई थी जब...
अपने सिर जिसने अपनी गोली खाई थी तब...
थे वहाँ सैकड़ों दुश्मन और वो खड़ा अकेला..
उसकी मृत्यु पर तीर्थ सज़ा वा लगा था मेला...
होता उसका मस्तिष्क यदि यूँ सधा सधा सा...
वो भी रहता परिवार संग तो बँधा बँधा सा...
आज़ादी मे भारत के अब भी दूरी है...
हित राष्ट्र अभी पागलपन बहुत ज़रूरी है...
जेल मे भूखे प्यासे हरदम पड़े रहे जो...
ले परचम आज़ादी का हरदम खड़े रहे जो...
काला पानी का ज़हेर जिन्होने हंस कर चखा...
पर सदा जलाए आज़ादी की ज्योत को रखा...
उनके उस पागलपन की कुछ चिंगारी भर लो...
वास्तव मे आज़ाद देश फिर अपना कर लो...
वो धरती तब जो लाल हुई फिर भूरी है...
हित राष्ट्र अभी पागलपन बहुत ज़रूरी है...
पर बन हिंदू मुस्लिम ना पागल तुम हो जाना...
इस क्षेत्र वाद की दौड़ में अब ना तुम बौराना...
जब पागलपन को सृजन से अपने जोड़ोगे तुम...
जब द्रव्यमोह का दृढ़ ये बंधन तोड़ोगे तुम...
जब पागलपन को लेके मन मे भ्रम ना होगा...
ये शत्रु विरोधी क्रोध कभी जब कम ना होगा...
वो कल्पमुर्ति इस राष्ट्र की तब ही पूरी है...
हित राष्ट्र अभी पागलपन बहुत ज़रूरी है...

Friday, November 4, 2011

भारत का परोछ सच .

सोनिया गाँधी सप्रसंग की मीटिंग में- अरे मनमोहन जी , हम चारो ओर से भ्रस्टाचार ओर घोटालों के मुद्दों से घिर गए है जिससे हमारी सरकार का काम करना मुश्किल हो गया है और हमारी लूटपाट से सरकारी खजाना खाली हो गया है ओर आने वाले चुनावो में जीतना मुश्किल लग रहा है , ऐसा क्या करना चाहिए जिससे हम पूरी तरह से बच जाएँ।

फारुख अबुदुल्लाह सोनिया से - में उमर से कश्मीर मुद्दा ओर अफ्सा का मुद्दा उछालने को बोलता हूँ ।
ममता बनर्जी सोनिया से - में नक्सालवादियो को मुद्दा उछालती हूँ ।
सोनिया - ये अच्छा रहेगा ओर जनता ओर मीडिया का ध्यान हमारी ओर से हट जाएगा ।
मनमोहन सिंह - पर इससे मैडम अंतररास्ट्रीय स्तर पर गलत सन्देश जाएगा ।
सोनिया- आप चुप रहो , पर सरकारी खजाने का क्या ।
प्रणब मुखर्जी - मैडम में तेल कंपनियों से पट्रोल , डीज़ल ओर रसोई गैस के दाम बढाने को बोलता हूँ ।
मनमोहन सिंह - पर जनता से क्या कह के दाम बदायेगे ।
प्रणब - कह देगें कि अंतररास्ट्रीय बाज़ार में तेल के दाम बढ गए है ।
मनमोहन सिंह - पर पडोसी देशों में तो दाम स्थिर है ।
सोनिया - आप चुप रहो , आपका सचिव जो नोट दे बस उसे जनता के सामने पढ़ देना , हाँ ये ठीक रहेगा ऐसा ही करो , जनता तो बेवकूफ है चार दिन में भूल जायेगी ।
राहुल गाँधी सोनिया से - मम्मी मम्मी में यू पी में घूम के आता हूँ ।
सोनिया - हाँ बेटा ठीक है , पर खाना कहाँ खाओगे ।
राहुल - वही किसी गरीब से मांग के खा लूँगा , उधार लेकर तो खिलायेगा ।
मीटिंग समाप्त ।

Law of conservation of water

Priciple :- "Water neither be created nor be destroyed but it can be transformed into one form to another".

Explanation:- The whole amount of water of earth or universe always remains constant, but the ratio of physical forms of water(ice(solid),liquid and gas) may varies from one place to another.Temperature is the main factor which causes the variation of distribution of water.Temperature depends of many factors like more industrialization, vehicle pollution, uneven distribution of plants topography etc.

So there is no need to save every drop of water but there is an urgent need to maintain the ratio of distribution of water on the earth or universe.