Thursday, July 5, 2012

मैं ढोरो को खगालता हूँ

मैं ढोरो को खगालता हूँ 
कभी इसको तो कभी उसको 
कहाँ सोया है वो राजपूताना शौर्य
एक काल था जब तुमने मात्रभूमि की 
हरियाली को अपने भगवा लहू से सींचा था 
वो सिंह दहाड़ से गौरी,गज़नी तक थर्राया था 
वो रणभूमि में म्लेछ सिरों से मात्रभूमि को पाटा था 
वो चिश्ती ने जब विश्वासघात किया तब 
माँ संयोगिता ने जोहर से सम्मान बचाया था 
वो गौरी के अहं को प्रथ्वी ने जब शब्दभेदी से तोडा था 
वो मेवाड़ी भूखे सिंहो ने खिलजी को नाच नचाया था 
माँ पधमिनी के जोहर ने उसे खाली हाथ लौटाया था 
वो रण के भूखे घायल राणा से बाबर को पसीना आया था 
वो कुम्भलगढ़ ने अकबर को मायूस लौटाया था 
इतिहास पलटता हूँ जब-जब रगों में बिजली कौध जाती है 
पर आज को देखके फफक के आंसू आते है 
जन रक्षक ही भक्षक बन बैठे तू फिर भी सोया है 
बिस्मिल के आंसू देख तू फिर भी खोया है 
म्लेचो ने मात्रभूमि को लूटा तू फिर क्यों कर्तव्य भूला है 
याद नहीं वो दिन जब सेना मुख्यालय से वी के सिंह की 
दहाड़ सुन पूरा विश्व कापा था 
१२१ करोड़ तुझे पुकार रहे फिर तू किस भ्रम में बैठा है ।
जय क्षात्र धर्म ।
जय माँ भवानी ।

Monday, June 25, 2012

अनंत काल तक चलने वाला प्राण हूँ मैं । श्वाश्वत, निर्मल ,अजन्मा सनातन हूँ मैं ।।

अनंत काल तक चलने वाला प्राण हूँ मैं ।
श्वाश्वत, निर्मल ,अजन्मा सनातन हूँ मैं ।।
ब्रह्मा के शरीर से निकला भौतिक रूप हूँ मैं।
विष्णु में बसने वाला वो प्राण हूँ मैं ।।
अनिष्ट को अवशोषित करने वाला महाकाल हूँ मैं।
अधर्म के लिए काल बनने वाला भगवा रंग हूँ मैं।।
अनंत काल तक चलने वाला प्राण हूँ मैं ।
श्वाश्वत, निर्मल ,अजन्मा सनातन हूँ मैं ।।
राम , कृष्ण के त्याग का परिणाम हूँ मैं ।
सीता की अग्नि परीक्षा की जीवित मिसाल हूँ मैं।।
गजानन को रचने वाला वो विज्ञानं हूँ मैं।
जन्म बन्धनों से मुक्ति देने वाला मोक्ष रूपी ज्ञान हूँ मैं।।
अनंत काल तक चलने वाला प्राण हूँ मैं ।
श्वाश्वत, निर्मल ,अजन्मा सनातन हूँ मैं।।
भरत की संतान का स्वाभिमान हूँ मैं।
चरक, चाणक्य, शुक्र के मस्तिष्क का तेज हूँ मैं।। 
चन्द्रगुप्त, प्रथ्वी, राणा, वीर शिवा की अमर गाथा हूँ मैं।
भूत , वर्त्तमान, भविष्य को जोड़ने वाला वो काल हूँ मैं।।
अनंत काल तक चलने वाला प्राण हूँ मैं ।
श्वाश्वत, निर्मल ,अजन्मा सनातन हूँ मैं।।

Wednesday, March 7, 2012

उत्तर प्रदेश बदल रहा है भारतीय राजनीतिक समीकरण और भविष्य



अभी हाल में ही पांच राज्यों के चुनावी नतीजे घोषित हुए परन्तु इन सब में चुनाव का मक्का उत्तर प्रदेश रहा। क्योकि भारतीय राजनीति में उत्तर प्रदेश वो गुलकंद है जिसे खाकर प्रत्येक दिल्ली की सत्ता तक पहुच सकता है। प्राचीन काल से ही ब्राज़ील की आबादी से ज्यादा आबादी (वर्तमान ) वाले इस प्रदेश का इतिहास विशिस्ट  रहा है क्योकि जिसने भी गंगा- जमुना के दोआब पर अधिकार किया है उसने भारत पर सफलतापूर्वक राज किया है। इसी प्रदेश ने भारत को सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री दिए है तथा दोनों ही मुख्या राजनीतिक पार्टियों (कांग्रेस तथा वी .जे .पी.)  का पोषक स्थान रहा है। पर धीरे-धीरे अब राजनीतिक समीकरण बदलते नज़र आ रहे है। क्योकि न तो नेहरु परिवार के रोड शो में दम दिखी और न ही वी. जे. पी. के राम मंदिर में।  दोनों ही पार्टियों में एकीकृत नेतृत्व शक्ति का आभाव है। युवराज़ यथार्थ से परे बातें नज़र करते आये तो वी. जे. पी. वो बस लगी जिसमें सबका अपना-अपना स्टेयरिंग है सबके अपने-अपने रास्ते । अब बची बसपा और सपा, २००७ में जनता  गुंडागर्दी से निजात पाने के लिए हाथी पर चढ़ गयी सोचा कुछ नया होगा तो नये के नाम पर एन एच आर एम्, मूर्तियाँ     तथा सरकारी गुंडागर्दी मिली ।अब अंत समय में वो साईकिल पर चढ़ गयी अब पांच साल क्या होगा वो समय बताएगा, पर एक बात साफ़ है क्षेत्रीय पार्टियों को स्पष्ट बहुमत के फायदे है तो नुकसान भी बहुत है। सबसे पहले मैं फायदे के बारे में बात करूँगा , उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जहाँ हर १०० किलोमीटर पर लोगो की आवश्यकताएं तथा समस्याएं अलग-अलग है जिनकी जानकारी क्षेत्रीय पार्टियों को रास्ट्रीय पार्टियों से ज्यादा है , दक्षिण में जहाँ बुंदेलखंड पानी की कमी से झूझता है वही पूर्वोत्तर क्षेत्र पानी में डूबा रहता है ,दक्षिण-पूर्व  में जहाँ नक्सलवाद है वही उत्तर-पश्चिम में नये विकास के लिए जमीन की कमी। जो इन दुखती रगों को पकड़कर गाना शुरू करता है जनता उसी में अपना भविष्य तलाशती है। सत्ता में आने से पहले ये बातें महत्वपूर्ण होती है तथा सत्ता में आने के बाद आधारहीन, क्योकि समस्या से निबटने तथा विकास करने के लिए, मेहनत करनी होती है और विलासितापूर्ण जीवन त्यागना पड़ता है। जो भी पार्टी इन समस्याओ से निबट कर विकास के रास्ते पर चलेगी उसे ही स्पष्ट बहुमत मिलेगा और चिर स्थायी होगी । पांच साल की मेहनत अगले बीस साल का बीमा देगी । बिहार और गुजरात इसके उदाहरण है। स्पष्ट बहुमत यह सिद्ध करता है है कि जनता चाहती है कि उस पर कोई समर्थ व्यक्ति ही राज करे।
अब बात करते ही स्पष्ट बहुमत से होने वाले नुकसान की। इन क्षेत्रीय पार्टियों से रास्ट्र को फायदा नाम मात्र को परन्तु नुकसान थोक के भाव होता है। अगर इतिहास पर नज़र डाली जाय तो मौर्या वंश (चन्द्रगुप्त से अशोक तक ) तथा मुग़ल वंश (अकबर से औरंगजेब तक ) भारत ने विकास किया है क्योकि इन राजाओ के समय एक केंद्रीय सक्ति स्थापित थी। इनके बाद राजनीतिक अस्थिरता आयी जिसका परिणाम विदेशी आक्रमण हुआ और गौरी , गजनवी और अंग्रेजो ने इसका फायदा उठाया। इससे एक बात साफ़ हो जाती है कि देश के बहुमुखी विकास के लिए  राजनीतिक स्थिरता कितनी आवश्यक है। अब बात करते है रास्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों की। रास्ट्रीय मुद्दे वो मसले होते है जो पुरे रास्ट्र से जुड़े होते है और जिनका असर पुरे रास्ट्र पर होता है जैसे विज्ञानं-तकनीकी ,सैन्य क्षमता विकास , आर्थिक उदारीकरण , विदेश नीति इत्यादि । रास्ट्रीय मसलो में थोड़ी सी चुक होने पर पूरे रास्ट्र को खामियाजा भुगतना पड़ता है। क्षेत्रीय मुद्दे वे मसले होते है तो रास्ट्र के किसी क्षेत्र विशेष से जुड़े होते है जिनकी कुछ अपनी सामाजिक, आर्थिक या अन्य समस्याएं होती है। क्षेत्रीय मुद्दे रास्ट्रीय मुद्दों के लिए अधिक घातक होते है क्योकि क्षेत्रीय पार्टियाँ क्षेत्रीय भावनाओ को भड़काकर रास्ट्रीय मुद्दों से ध्यान खीचती है और यदि केंद्र सरकार क्षेत्रीय पार्टियों के सपोर्ट से चल रही है तो महत्वपूर्ण रास्त्रियो मुद्दों को निबटाने में रोड़ा बनती है तथा रास्ट्रीय अस्थिरता तथा अशांति  उत्पन्न करती है जिसकी ताक में सभी दुश्मन देश बैठे रहते है।
उपरोक्क्त बातो से स्पष्ट हो जाता है कि दोनों रास्ट्रीय पार्टियों तथा जनता को बैठ कर सोचना होगा कि हम किस ओर जा रहे है तथा हम अपने बच्चो को कैसा भारत देकर जायेगें ? क्या गौरी,गजनवी या अंग्रेजो फिर दोहराया जाएगा ? क्या चीन का युद्ध फिर दोहराया जाएगा ? क्षेत्रीय पार्टियों को स्पष्ट बहुमत मिलना कुछ इसे ही निकट भविष्य की ओर इशारा कर रहा है ।
Written by  -
  अजय सिंह
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jems007mbond@gmail.com
             

Monday, March 5, 2012

आजकल सरकार को बी टी सरसों  नाम का भूत सवार  है जिसकी खेती के लिए राजस्थान में तीन जिलो में विरोध के वावजूद मंजूरी दे दी है इन गधो पर यूरोप का रंग चडा रहता है ये इस छोटी सी बात को समझ पाते कि यूरोप  में कुकुरमुत्तो की तरह देश है जिनके पास खेती करने के लिए पर्याप्त जमीन नहीं है इसलिए ऐसी खुराफातें करना उनकी मजबूरी है पर भारत में इसकी कोई जरूरत नहीं पर ऑक्सफोर्ड के चौकीदार ये समझेगें नहीं , उपजाऊ जमीन पर हाई टेक सिटी बनाते है और रेगिस्तान बी टी खेती की बात करते है पता नहीं ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज में कैसे उल्लू बैठे है जो इन जैसे गधो को डिग्री दे देते है और यहाँ आके ये छाती पीट-पीट के प्रलाप करते है हाय टेकनोलोजी  - हाय टेकनोलोजी। हम जैसे ताजी रोटी पका कर खाने वाले लोग इन्हें पिछड़े लगते है और यूरोप वाले जो , पाव रोटी और डबल रोटी जो आटे को सडा कर बनाये जाते है उन्हें ये उल्लू काबिल समझते है। एक बेवकूफ गया नहीं यूरोप या अमेरिका एक नया भूत लेकर आ जाता है फिर हमारा टाइम ख़राब करता है। इन गधो को गधा बोलो तो इन्हें मिर्च लगना शुरू हो जाती है कोई काम के टाइम पे पोर्न मूवी देखता है तो कोई चिघाड-चिघाड के आरक्षण को मागंता है फिर उनकी अम्मा बोलती है कि ये गधे  कम चिघाड़ते तो हमें ज्यादा वोट मिलते, पता नहीं ये सब कीड़े कौन सी दुनिया में रहते है जो इन्हें कुछ पता ही नहीं ,एक दो साल के बच्चे की तरह रोते है गलती करके  न इनके घरवाले या बच्चे कुछ कहते है कि भाई तुम्हें तो अपनी इज्ज़त की चिंता नहीं तो हमारी की कर लो।          
जिस प्रकार स्पेन नाम के नासूर ने नेपोलियन बोनापार्ट को बर्बाद कर दिया और दक्षिण भारत ने औरंगजेब को बर्बाद कर दिया ठीक उसी प्रकार कश्मीर नाम के फोड़े ने पकिस्तान को बर्बाद कर दिया है , पकिस्तान ने सबसे पहले पूर्वी पकिस्तान जो आज का बंगलादेश है को खोया और अब बलूचिस्तान की बारी है, और एक दिन पकिस्तान पूरी दुनिया के लिए इतिहास बन जाएगा ।

Saturday, February 4, 2012

एक भारतीय सियाचिन सेनिक का अपनी मरी हुई माँ को लिखा हुआ खत-

प्रणाम माँ,
"माँ" बचपन में मैं जब भी रोते रोते सो जाया करता था तोह तू चुपके से मेरे सिरहाने खिलोने रख दिया करती थी और कहती थी की ऊपर से एक परी ने आके रखा है और कह गई है की अगर मैं फिर कभी रोया तोह खिलोने नहीं देगी! लेकिन इस मरते हुए देश का सेनिक बनके रो तोह मैं आज भी रहा हूँ पर अब ना तू आती है और ना तेरी परी! परी क्या....... यहाँ
5,753  मीटर ऊपर तोह परिंदा भी नहीं मिलता!
मात्र 14 हज़ार के लिए मुझे कड़े अनुशासन में रखा जाता है, लेकिन वोह अनुशासन ना इन भ्रष्ट नेताओं के लिए है और ना इन मनमौजी देशवासियों!
रात भर जगते तोह हम भी है लेकिन अपनी देश के सुरक्षा के लिए लेकिन वोह जगते है "लेट नाईट पार्टी" लिए!
इस -12 डिग्री में आग जला के अपने को गरम करते है लेकिन हमारे देश के नेता हमारे ही पोशाको, कवच, बन्दूको, गोलियों और जहाजों में घोटाले करके अपनी जेबे गरम करते है!
आतंकियों से मुठभेड़ में मरे हुए सेनिको की संख्या को न्यूज़ चैनल नहीं दिखाया जाता लेकिन सचिन के शतक से पहले आउट हो जाने को देश के राष्टीय शोक की तरह दशाया जाता है!
हर चार-पांच सालो ने हमे एक जगह से दुसरे जगह उठा के फेंक दिया जाता है लेकिन यह नेता लाख चोरी करले बार बार उसी विधानसभा - संसद में पहुंचा दिए जाते है!
मैं किसी आतंकी को मार दूँ तोह पूरी राजनितिक पार्टियां वोट के लिए उसे बेकसूर बना के मुझे कसूरवार बनाने में लग जाती है लेकिन वोह आये दिन अपने अपने भ्रष्टाचारो से देश को आये दिन मारते है, कितने ही लोग भूखे मरते है, कितने ही किसान आत्महत्या करते है, कितने ही बच्चे कुपोषण का शिकार होते है लेकिन उसके लिए इन नेताओं को जिम्मेवार नहीं ठहराया जाता?
निचे अल्पसंख्यको के नाम पर आरक्षण बाटा जा रहा है लेकिन आज तक मरे हुए शहीद सेनिको की संख्या के आधार पर कभी किसी वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया?

मैं दुखी हूँ इस मरे हुए संवेदनहीन देश का सेनिक बनके! यह हमे केवल याद करते है 26 जनवरी को और 15 अगस्त को! बाकी दिन तो इनको शाहरुख़, सलमान, सचिन, युवराज की फ़िक्र रहती है!
हमारी स्तिथि ठीक वैसे ही पागल किसान की तरह है जो अपने मरे हुए बेल पर भी कम्बल डाल के खुद ठंड में ठिठुरता रहता है!

मैंने गलती की इस देश का रक्षक बनके!
तू भगवान् के जाएदा करीब है तोह उनसे कह देना की अगले जनम मुझे अगर इस देश में पैदा करे तोह सेनिक ना बनाए और अगर सेनिक बनाए तोह इस देश में पैदा ना करे!
यहाँ केवल परिवार वाद चलता है, अभिनेता का बेटा जबरजस्ती अभिनेता बनता है और नेता का बेटा जबरजस्ती नेता!

प्रणाम-
लखन सिंह (मरे हुए देश का जिन्दा सेनिक)!
भारतीय सेनिक सियाचिन

Friday, February 3, 2012

 मुस्लिम   आरक्षण के मुद्दे पर एक जुट हो रहे है पर कभी भ्रस्टाचार, और पकिस्तान के खिलाफ कभी खुल के एक जुट होकर सामने नहीं आते है। मुस्लिमों को पकिस्तान और बंगलादेश दिया जा चुका है अब उन्हें क्या चाहिए पूरा भारत । क्या माननीय ऐ. पी. जे. अब्दुल कलाम साहब की राय ली है अलीगढ मुस्लिम विश्वविधालय और दारुल उलम , देबबंद ने। आज़ादी से पहले ये दोनों संस्थान एक दूसरे के विरोधी थे आज चोली दामन के साथ की बात करते है।  कहाँ है वो मुस्लिम जो बंगाल विभाजन के विरुद्ध सन १९०५ ई. जो हिन्दुओं के साथ सरकार की  फूट डालने की कोशिश के विरुद्ध   में एक हो गये थे ।  क्यों जब भी कोई आतंकवादी घटना  होती है तो हमेशा मुस्लिम नाम ही सामने आते है । क्या ये देश आपका नहीं है ? इन बातों से सिर्फ यही सिद्ध  होता है की वो इस  देश को अपना नहीं मानते । क्यों देश के कोई आन्दोलानो में मुस्लिमों की की कोई भागीदारी खुल के सामने नहीं आती है। क्या देश भक्ति का जज्बा उनके अंदर नहीं है  वो नहीं चाहते है की भारत में हर धर्म का व्यक्ति बिना भेदभाव के मिल के रहे । क्या इस्लाम देश के लिए और मानवता के लिए कोई फ़र्ज़ निभाने को नहीं बताता है ।  जब उनकी  तलवारे  दंगो में दूसरे धर्म के लोगो को मारने के लिए है उठ सकती है तो क्यों ये तलवारे देश के लिए नहीं उठती है क्यों ये तलवारे मानवता की रक्षा के लिए नहीं उठती है।महान सम्राट अकबर भी एक मुस्लिम था ।क्यों सूफी पंथ का विकास नहीं हुआ । मोईनुद्दीन चिस्ती का यही सन्देश था , क्या ? क्यों धर्म की खायी दिन-प्रतिदिन बढ रही है  क्यों मुस्लिम युवा धार्मिक एकता के लिए आवाहन नहीं करते। क्यों जब भी देश की बात आती है तो वे औरों से कई कदम पीछे दिखते है । आप एक बार आगे आकर आवाहन तो करो फिर देखना फिर देखना हर धर्म का व्यक्ति आपके साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा  होगा  ।

Thursday, February 2, 2012

वो कहते है कि भारत के लोग असभ्य थे
हमने भारत वालो को सभ्य बनाया ,
सन १७५७ ई. में उन्होंने हमारी
संस्कृति  को  निम्न दर्जे का  बोला
पर ७५०० वर्ष पहले सिन्धु सभ्यता
विश्व कि सर्वाधिक विकसित सभ्यता थी
खुद साम्राज्यवादी होकर हमें लोकतंत्र का
पाठ पदाते थे जब कि सिधु सभ्यता , वैदिक काल
, मौर्या काल, गुप्त काल  ये सब लोकतंत्र आधारित
राज्य थे ।
वो कहते है कि गैलिलियो ने विमान बनाया पर
प्रभु राम तो लंका विजय से पुष्पक विमान से अयोध्या
वापस आए ।
वो कहते है कि १७ वी शताब्दी  में न्यूटन
ने गुरुत्त्वकर्षण कि खोज कि पर आर्यभट ने तो
1500 वर्ष पहले इसकी खोज कर दी ।
वो कहते है कि गणित में वो पंडित है
उनकी प्रौधोगिकी सबसे उन्नत है
पर शून्य क़ी खोज आर्यभट ने गुप्त काल में क़ी  और पाई
का मान ३.१४१६ निकाला तब जा के उन्हें गिनती आई ।
वो कहते है कि उनकी मिसाइले अचूक है पर
प्रथ्विराज चौहान ने तो १२०० ई. में मुहम्मद गोरी को
शब्दभेदी वाण से काल के गाल में भेज दिया था ।
वो कहते है क़ी वो संम्पन्न  है  फिर क्यों दुनिया को
व्यापारी के भेश धर के लुटा ।
वो कहते है कि वो संस्कृति के रक्षक है
पर क्यों उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका क़ी इंका, माया  और एजटेक,
और अफ्रीका क़ी सभ्यताओं का समूल नाश कर दिया ।
वो कहते है क़ि उन्हें मानवता   क़ी चिंता है तो फिर क्यों
अफ्रीका के लोगो को दास बना के अमरीका भेजा ।






Wednesday, February 1, 2012

ज़रा सोचिये 
देश का विभाजान , हिन्दू - मुस्लिम दंगे , लाल बहादुरशास्त्री   की रहस्मय मौत , पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर ,पूर्वोत्तर राज्यों की समस्या , नक्सल वाद , चीन का युद्ध ,२ जी , कोमनवेअल्थ , माइनिंग (अभी आने वाला है लगभग २५ लाख करोड़ ) घोटाला इत्यादि ये सब कांग्रेस की देन  है। यदि उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार हो तो  कांग्रेस क्या क्या कर  सकती है ।
जागो - जागो मतदाता जागो , भ्रस्टाचार की रेल गाड़ी होर्न बजा रही है ।