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| Source- JASB, 1833 |
वर्ष 1833 ई० की एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल की रिपोर्ट के अनुसार अंग्रेजों ने भारत के क्षेत्रों को अपनी संधियों के अनुसार 6 भागों में विभाजित किया था।
प्रथम श्रेणी- प्रथम श्रेणी में वो राज्य आते थे जिनके भीतरी व आंतरिक मामलों में ब्रिटिश सरकार सीधे दखल देती थी। यह राज्य अपने क्षेत्र में आक्रमण व सुरक्षा के लिए अंग्रेजों से माँग कर सकते थे। प्रथम श्रेणी के राज्य थे-
1- ओडे, जिसका क्षेत्रफल 23,923 वर्ग मील था।
2- मैसूर, जिसका क्षेत्रफल 27,999 वर्ग मील था।
3- बेरार या नागपुर, जिसका क्षेत्रफल 56, 723 वर्ग मील था।
4- त्रावणकोर, जिसका क्षेत्रफल 4,574 वर्ग मील था।
5- कोचीन, जिसका क्षेत्रफल 1,988 वर्ग मील था।
दूसरी श्रेणी- दूसरी श्रेणी में वह राज्य आते थे जिनके आंतरिक मामलों में ब्रिटिश सरकार दखलंदाजी नहीं दे सकती थी किंतु अपने हितों के संबंध में दे सकती थी, यह राज्य भीतरी व बाहरी आक्रमणों से सुरक्षा के लिए ब्रिटिश सरकार पर निर्भर थे। यह राज्य थे-
1-हैदराबाद, जिसका क्षेत्रफल 88, 884 वर्ग मील था।
2- बड़ोदा, जिसका क्षेत्रफल 24, 950 वर्ग मील था।
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| Source- JASB,1833 |
तृतीय श्रेणी- तृतीय श्रेणी में वह राज्य थे जोकि अपने राज्य में सुप्रीम थे जिनके किसी कार्य में ब्रिटिश सरकार की दखलंदाजी नहीं थी, ब्रिटिश सरकार ऐसे राज्यों के साथ एक सहायक के रूप में थी। यह राज्य थे-
1- इंदौर, जिसका क्षेत्रफल 4,245 वर्ग मील था।
2- उदयपुर, जिसका क्षेत्रफल 11,784 वर्ग मील था।
3- जयपुर, जिसका क्षेत्रफल 13, 427 वर्ग मील था।
4- जोधपुर, जिसका क्षेत्रफल 34, 132 वर्ग मील था।
5- कोटा, जिसका क्षेत्रफल 4, 389 वर्ग मील था।
6- बूंदी, जिसका क्षेत्रफल 2,291 वर्ग मील था।
7- अलवर, जिसका क्षेत्रफल 3,235 वर्ग मील था।
8- बीकानेर, जिसका क्षेत्रफल 18, 060 वर्ग मील था।
9- जैसलमेर, जिसका क्षेत्रफल 9,779 वर्ग मील था।
10- किशनगढ़, जिसका क्षेत्रफल 724 वर्ग मील था।
11- बांसवाड़ा, जिसका क्षेत्रफल 1,449 वर्ग मील था।
12- प्रतापगढ़, जिसका क्षेत्रफ़ल 1,457 वर्ग मील था।
13- डूंगरपुर, जिसका क्षेत्रफ़ल 2,005 वर्ग मील था।
14- करौली, जिसका क्षेत्रफल 1,878 वर्ग मील था।
15- सिरोही, जिसका क्षेत्रफल 3,024 वर्ग मील था।
16- भरतपुर, जिसका क्षेत्रफल 1,946 वर्ग मील था।
17- भोपाल, जिसका क्षेत्रफल 6,772 वर्ग मील था।
18- कच्छ, जिसका क्षेत्रफल 7,396 वर्ग मील था।
19- धार व देवास, जिसका क्षेत्रफल 1,466 वर्ग मील था।
20- धौलपुर, जिसका क्षेत्रफल 1,626 वर्ग मील था।
21- रीवा, जिसका क्षेत्रफल 10, 310 वर्ग मील था।
22- दतिया, झांसी, तेरही जिसका क्षेत्रफल 16, 173 वर्ग मील था।
23- सावंतवाड़ी, जिसका क्षेत्रफ़ल 935 वर्ग मील था।
चतुर्थ श्रेणी- चतुर्थ श्रेणी में वह राज्य था जोकि अपने क्षेत्र में सुप्रीम थे जिन्हें सुरक्षा की गारंटी थी वह राज्य थे-
1- अमीर खान- (टोंक,सिरोंज,निम्बाहरा) जिसका क्षेत्रफल 1,633 वर्ग मील था।
2- पटियाला, कैटल, नाबा, जींद जिसका क्षेत्रफल 16, 602 वर्गमील था।
पंचम श्रेणी- पंचम श्रेणी में वह राज्य था जिनसे मित्रता थी, वह राज्य थे-
1- ग्वालियर, जिसका क्षेत्रफल 32,944 वर्ग मील था।
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| Source- JASB, 1833 |
षष्ठम श्रेणी- षष्ठम श्रेणी में वह राज्य थे, जिसकी सुरक्षा और आंतरिक मामलों पर पूरा नियंत्रण ब्रिटिश सरकार का था। यह राज्य थे-
1- सतारा, जिसका क्षेत्रफल 7,943 वर्ग मील था।
2- कोल्हापुर, जिसका क्षेत्रफल 3,184 वर्ग मील था।
इस क्षेत्रों में हैदराबाद, ओडे, भोपाल व टोंक मुस्लिम शासित राज्य थे।
सतारा, ग्वालियर, नागपुर, इंदौर, बंडा, कोल्हापुर, धार व देवास मराठा राज्य थे।
उदयपुर, जयपुर, जोधपुर, बूंदी, कोटा, कच्छ, अलवर, बीकानेर, जैसलमेर, किशनगढ़, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, करौली, सिरोही, रीवा, दतिया, झांसी, तेरही राजपूत राज्य थे।
मैसूर, भरतपुर, त्रावणकोर, सावंतवाड़ी, कोचीन, धौलपुर अन्य हिन्दू जातियों द्वारा शासित राज्य थे।
छोटा नागपुर, सिरगुज़र, संभलपुर, सिंहभूम, उदीपुर, मणिपुर, तंजोर, फिरोजपुर, मरीच, संगाओं, नेपानी, अकुलकोटे, सागर,नर्बुड्डा, सिक्किम अन्य राज्य थे।
ब्रिटिश सरकार व भारतीय राज्यों के व्यापारिक, राजनीतिक संबधों व संधियों के संबंध में तत्कालीन परिस्थितियों पर एक व्यापक निष्पक्ष अन्वेषण आवश्यक है।