Tuesday, August 12, 2025

गाजीउद्दीन खान और मराठों ने मिलकर नजीबुद्दौला को खदेड़ा और आगरा पर मराठों का 4 वर्ष का छोटा कार्यकाल।


Source- History and Administration of the N-W Provinces, 1803-1858


हिस्ट्री एंड एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ नार्थ-वेस्ट प्रोविन्सेस 1803-1858 की रिपोर्ट के अनुसार मार्च वर्ष 1757 ई० में अहमद शाह अब्दाली भारत से जब लौटा तो उसने नजीबुद्दौला को अपने अधीन भारत भारत का शासन सौंप दिया।


अब्दाली का यह कार्य गाजीउद्दीन खान इमाद उलमुल्क को पसंद नहीं आया, उसने मराठों को नजीबुद्दौला के विरुद्ध मिलकर लड़ने का आमंत्रण भेजा।


मराठों की तरफ से मल्हार राव होल्कर गाजीउद्दीन खान के साथ लड़े और नजीबुद्दौला को खदेड़ दिया, जिसके बाद दिल्ली और आगरा का क्षेत्र गाजीउद्दीन खान और मराठों के पास आ गया।


मई 1757 ई० में आगरा मराठों के पास आ गया जोकि पानीपत के तीसरे युद्ध तक मराठों के पास रहा। पानीपत के तीसरे युद्ध में हार के बाद मराठे वापस दक्षिण तक सिमट गए। आगरा पर मराठों के 4 वर्ष के छोटे कार्यकाल का उल्लेख मिलता है।


पानीपत का तीसरा युद्ध 17 जनवरी वर्ष 1761 ई० को लड़ा गया था, इसप्रकार आगरा पर मई 1757 से जनवरी 1761 तक लगभग 4 वर्ष के छोटे अंतराल तक आगरा मराठों के पास रहा, इस समय गाजीउद्दीन खान और मराठों के बीच मित्रता रही।


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