सीकरी- एक परिचय
सीकरी जिसे आजकल हम सभी फतेहपुर सीकरी के नाम से जानते है वह आगरा से करीब 34 किलोमीटर दूर आगरा-भरतपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है।
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| फतेहपुर सीकरी किले पर स्थित पत्थर की पट्टिका पर सीकरी का परिचय |
सीकरी एक ऐतिहासिक स्थान है। सीकरी मूल रूप से एक ग्राम था जोकि आज भी स्थित है स्थानीय लोग आजकल सीकरी ग्राम को नगर कहते है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ० धर्मवीर शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक “अर्कियोलॉजी ऑफ फतेहपुर सीकरी- न्यू डिस्कवरीज” में लिखा है कि सीकरी नाम सैक से पडा। संस्कृत में सिकता या सैकतम् का अर्थ ऐसी भूमि से होता है जोकि किसी पानी के तट पर स्थित होती है। डॉ० शर्मा हलयुध कोश का उल्लेख करते हुए लिखते है कि
“सैकतं पुलिनं द्वीपं सिकतो बालुका स्मृता।।
मध्ये द्वीपंमन्तरीपं हदस्तोयाषयो मतः।।”
जिसका अर्थ है कि नदी, रेत या बजरी के बीच में एक टीला, एक द्वीप, एक अंतरीप या एक झील।
सेक शब्द से इस क्षेत्र को सैकरिक्य कहा गया, सैकरिक्य शब्द का उल्लेख सीकरी में मिली वर्ष 1010 ई० जैन सरस्वती की मूर्ति पर उकेरे शिलालेख में भी मिलता है। सैकरिक्य का अपभ्रंश सीकरी हुआ।
सीकरी में एक ऐतिहासिक झील थी जिसका ऐतिहासिक अभिलेखों मे उल्लेख मिलता है वर्तमान में इस झील पर अवशेष के रूप में तेरह मोरी बांध बना हुआ है।
वर्ष 815 ई० में सूर्यवंशी क्षत्रियों की बडगूजर शाखा के चन्द्रराज, सीकरी में आकर बसे थे। सीकरी में बसने के कारण सीकरी के बडगूजर क्षत्रियों को सिकरवार कहा गया। आगरा गजेटियर इस तथ्य की पुष्टि करता है कि सीकरी में बसने के कारण बडगूजर क्षत्रियों की शाखा को सिकरवार कहा गया।
10 वीं शताब्दी में सिकरवार वंश में विजयसिंह सिकरवार राजा हुए जिनके नाम से इस सीकरी के विजयपुर सीकरी कहा गया। संस्कृत में वार का अर्थ समूह से होता है इस लिए बडगूजरों का जो परिवार सीकरी में बसा उन्हें सिकरवार कहा गया अर्थात् सीकरी वालों का समूह, यह एक स्थान सूचक शब्द है।
अबुल फजल की अकबरनामा के अनुसार अकबर ने वर्ष 1570 ई० को सीकरी की स्थापना की हाँलाकि ऐतिहासिक दस्तावेजों और पुरातात्विक अवशेषों से यह बात सत्य नहीं है कि सीकरी की स्थापना अकबर ने की।
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